एक बहुत बड़े चिंतक थे, वे यह कहते थे, ‘ईश्वर ने मनुष्य नहीं बनाया मनुष्य ने ईश्वर बनाया’। हो सकता है जिन ईश्वरों को बनाया है तुम लोगों ने, बना लिए हैं पूजा के लिए, वह ईश्वर नहीं है! ईश्वर है ही वह जिससे दुनिया हुई है। हम नाम नहीं लेते उसका, इस्लाम भी उसका नाम नहीं लेता, अल्लाह कहता है, खुदा कहता है। हम ईश्वर उसे कहते हैं जिससे दुनिया पैदा हुई है। वह ईश्वर है जिसको मनुष्य ने पैदा किया है। वह मंदिर हो सकता है, वह मूर्ति हो सकती है, पूजा पद्धति हो सकती है, ईश्वर को किसी ने पैदा नहीं किया, ईश्वर ही है जिसमें दुनिया पैदा हुई है और ईश्वर से आज भी पैदा होती है। और फिर बता दें, हम अपने वेद के मंत्र बताते हैं, हम बड़ी दृढ़ता से बताते हैं – – 
यतो वा इमानि भूतानि जायंते 
जिससे यह सारी सृष्टि पैदा हुई है, येन जातानि जिसके द्वारा यह पैदा की गई है, जीवंति अर्थात जिसमें यह जीवित रहती है उसे ब्रह्म कहते हैं। उसे जानो जिससे सृष्टि पैदा हुई है, जिसमें रहती है और जिसमें अंत में लीन हो जाती है! उसको ईश्वर कहते हैं।
कोई व्यक्ति ईश्वर क्यों नहीं है? क्योंकि यह हो सकता है कि दो- एक बच्चों को पैदा कर भी दे…… यहां बहुत लोग हैं माता-पिता जिन्होंने पैदा किया है लेकिन नौ महीने मां के भरोसे था। थोड़े दिन तक दूध पीकर जिया नहीं तो मर जाता। लेकिन अब माँ- बाप मर गए और वह जिंदा है। ज्यादातर सबके मां-बाप, बाबा मर गए लेकिन बेटे हैं, नाती हैं। भगवान ऐसा नहीं है कि उसने पैदा किया और वह बूढ़ा होकर मर गया और दुनिया चली गई। ईश्वर था, है, और रहेगा! दुनिया उसने पैदा की है। आज भी वही पैदा कर रहा है। 

भगवान ऐसा नहीं है कि उसने पैदा किया और वह बूढ़ा होकर मर गया और दुनिया चली गई। ईश्वर था, है, और रहेगा! दुनिया उसने पैदा की है। आज भी वही पैदा कर रहा है। यह गलतफहमी है कि पैदा करते दिखाई नहीं देता। जो लोग बिना समझे ईश्वर की बात करते हैं उनका में खंडन भी करता हूं। राम ही लोग खिलौना माना ईश्वर कोई तुम्हारा खिलौना है? जैसे बच्चे खेल लेते हैं, कुछ  बना लेते हैं ऐसे ही तुमने ईश्वर मान लिया और जब मन का नहीं हुआ तो फेंक दिया। यह ऐसी कहानी है कि समय लूंगा तो बढ़ जाएगी। आप ठाकुर जी को मानते हो पर नाराज हो जाओ तो फेंक देते हो। एक यादव जी थे उनकी भैंसे खो गई। बहुत मनाया ठाकुर जी को पर नहीं माने तो ठाकुर जी को तालाब में फेंक दिया। मैं यह नहीं कहता कि पूजा ना करो करो पर यह हमारे स्वीकार किए हुए भगवान हैं। यह उनके स्वीकार किए थे, नाराज हो गए तो फेंक दिए। और संयोग की बात यह हुई कि उसकी  भैंस आ गई। अब कहने लगा तालाब में से डुबकी लगाकर ढूंढ के लाऊं ठाकुर जी को। तो कहता है ठाकुर जी को कि पहले ही ढूंढ देते तो यह दुर्दशा ना होती! तो तुम तो ऐसे भगवान मानते हो! गुरु को भी ऐसे ही मानते हो! आज मानते हो कल नाराज हो जाओगे। कईयों ने बंद कर दिया गुरु के पास जाना। तो… गुरु को तो मानते हो पर गुरु का खंडन कैसे करोगे? 

ईश्वर से गुरु में अधिक धारे भक्ति सुजान। बिन गुरु भक्ति प्रवीणहूं लहे न आतमज्ञान॥

Share this post

7,881 Comments

  1. EdwardClest June 27, 2022 at 10:19 pm

    lipitor 80 mg price in india lipitor 80 mg

    Reply
  2. Darrellbar July 9, 2022 at 5:34 am

    prescription drugs without prior prescription ed drugs list

    Reply
  3. Darrellbar July 10, 2022 at 7:28 pm

    erectile dysfunction treatment ed remedies

    Reply