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हरसिंगार के फूल बाजार में 1000 रू किलो तक बिकते हैं,अगर सूर्य तापित अर्क निकालें तो एक किलो फूलों में करीब 100 ml निकलेगा।

एक हेयर ऑयल बनाने की विधि बताता हूं।
जिसको लगाना सुरु करने के बाद पांचवें दिन बाल झड़ने/गिरने बंद हो जायेंगे।
डेंड्रफ भी गधे के सींगों की तरह गायब हो जायेगा।
सामग्री
100 ग्राम नारियल तेल
50 ग्राम काले तिल का तेल
50 ग्राम असली बादाम तेल
दो कागजी नींबू ।
सबसे पहले दोनो नींबू का रस निचोड़ छानकर किसी लंबी डंडी की कड़छी में रख लें, उसके बाद नारियल तेल को किसी बर्तन में उबालें। तेल उबल जाने के तेल के पात्र को आंच से नीचे उतार कर सावधानी से नींबू का तेल डालें ।सावधानी रखनी जरूरी है गर्म तेल के छींटे लग सकते हैं।
5- 7 मिंट बाद नारियल नींबू तेल को पुनः धीमी आंच पर रखें
थोड़ी देर बाद छन छन की आवाज बंद हो जाए तो काले तिल का तेल भी इसी तेल में डालकर उबलने दें। उबलने के बाद नींबू रस की तरह ही 20 ml हरसिंगार के फूलों वाला अर्क डालें और पात्र को फिर से आंच पर रखे जब छन छन की आवाज बंद हो जाए तो बादाम तेल डालकर बरतन को नीचे उतार लें ।
तेल ठंडा होने के बाद छानकर शीशी में भर लें ।
सुबह नहाने से 1 घंटे पहले बालों में 5 मिंट तक नर्म हाथो से मलें, सोने से पहले रात को भी मलें।
पांचवें दिन असर देखें। बाल नहीं गिरेंगे,मुलायम मजबूत और चमकदार होने लगेंगे ।रूसी नहीं होगी।सिर में फोड़े फुंसी हैं तो वह ठीक होंगी।सिर को शांति मिलेगी तनाव दूर होगा, सिर दर्द नहीं होगा। निंद अच्छी आएगी।
जिनको गैस तेजाब कब्ज की थोड़ी बहुत समस्या रहती हो तो सोने से पहले एक चमच एक दो तीन अनुपात का त्रिफला चूर्ण लें,जिनको कोई समस्या नहीं वो भी कुछ दिन आंवला चूर्ण गुनगुने जल से लें।

ध्यान दें

जो लोग रात 12 बजे मनाते हैं जन्मदिन
उन्हें कुछ बातों की जानकारी होना आवश्यक है..

एक अजीब सी प्रथा इन दिनों चल पड़ी है वो है ..रात 12 बजे शुभकामनाएं देने और जन्मदिन मनाने की। लेकिन क्या आपको पता है भारतीय शास्त्र इसे गलत मानता है .. हम आपको यही अवगत कराने प्रयास कर रहे हैं कि वास्तव में ऐसा करना कितना अजीब है..

आजकल किसी का बर्थडे हो, शादी की सालगिरह हो या फिर कोई और अवसर क्यों ना हो, रात के बारह बजे केक काटना लेटेस्ट फैशन बन गया है। लोग इस बात को लेकर उत्साहित रहते हैं कि रात को बारह बजे केक काटना है

अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोग अपना जन्मदिन 12 बजे यानि निशीथ काल ( प्रेत काल) में मनाते हैं। । निशीथ काल रात्रि को वह समय है जो समान्यत: रात 12 बजे से रात 3 बजे की बीच होता है। आमजन इसे मध्यरात्रि या अर्ध रात्रि काल कहते हैं। शास्त्रनुसार यह समय अदृश्य शक्तियों, भूत व पिशाच का काल होता है। इस समय में यह शक्ति अत्यधिक रूप से प्रबल हो जाती हैं।

हम जहां रहते हैं वहां कई ऐसी शक्तियां होती हैं, जो हमें दिखाई नहीं देतीं, किंतु बहुधा हम पर “प्रतिकूल” प्रभाव डालती हैं जिससे हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो उठता है और हम दिशाहीन हो जाते हैं। जन्मदिन की पार्टी में अक्सर मदिरा व मांस का चलन होता है। ऐसे में प्रेतकाल में केक काटकर, मदिरा व मांस का सेवन करने से अदृश्य शक्तियां व्यक्ति की आयु व भाग्य में कमी करती हैं और दुर्भाग्य उसके द्वार पर दस्तक देता है। साल के कुछ दिनों को छोड़कर जैसे दीपावली, 4 नवरात्रि, जन्माष्टमी व शिवरात्रि पर निशीथ काल महानिशीथ काल बन कर शुभ प्रभाव देता है जबकि अन्य समय में दूषित प्रभाव देता है।

शास्त्रों के अनुसार रात के समय दी गई शुभकामनाएं प्रतिकूल फल देती हैं

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार दिन की शुरुआत सूर्योदय के साथ ही होती है और यही समय ऋषि-मुनियों के तप का भी होता है। इसलिए इस कला में वातावरण शुद्ध और नकारात्मकता विहीन होता है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय होने के बाद ही व्यक्ति को बर्थडे विश करना चाहिए क्योंकि “रात के समय” वातावरण में रज और तम  कणों की मात्रा अत्याधिक होती है और उस समय दी गई बधाई या शुभकामनाएं फलदायी ना होकर प्रतिकूल बन जाती हैं।

खैर ये सारी शास्त्रोक्त बातें हैं आप अगर इन्हें नज़रअंदाज़ भी कर दें पर क्या अपने ह्रदय की भावनाओं और संवेदनाओं को साक्षी मान कर सोचिए वो सुबह कितनी अविस्मरणीय होती है जब आप रात को जल्दी सोकर सुबह जल्दी उठे थे। और किसी ने आपको आपके शरीर के इस प्राकट्य दिवस पर शुभकामनाएं या कोई तोहफा दिया था।

ये जीवन आपका है। आप सोचें कि कैसे जीना है। बस एक बात हमेशा याद रखें बड़े भाग्य से ये मनुष्य जीवन मिलता है इसे जितना प्राकृतिक होकर जिया जा सकता है जियें।

आपका जीवन साथी कौन है?

माँ
पिता
बीवी
बेटा
पति
बेटी
दोस्त…????

बिल्कुल नहीं

आपका असली जीवन साथी
आपका शरीर है ..

एक बार जब आपका शरीर जवाब देना बंद कर देता है तो कोई भी आपके साथ नहीं है।

आप और आपका शरीर जन्म से लेकर मृत्यु तक एक साथ रहते हैं।

जितना अधिक आप इसकी परवाह करते हैं,  उतना ही ये आपका साथ निभाएगा।

आप क्या खाते हो,
फ़िट होने के लिए आप क्या करते हैं,
आप तनाव से कैसे निपटते हैं

आप कितना आराम करते हैं
आपका शरीर वैसा ही जवाब देगा।
याद रखें कि आपका शरीर एकमात्र स्थायी पता है जहां आप रहते हैं।

आपका शरीर आपकी संपत्ति है, जो कोई और साझा नही  कर सकता ।

आपका शरीर आपकी
ज़िम्मेदारी है।
इसलिये,
तुम हो इसके असली
जीवनसाथी।

हमेशा के लिए फिट रहो
अपना ख्याल रखो,
पैसा आता है और चला जाता है
रिश्तेदार और दोस्त भी
स्थायी नहीं हैं।

याद रखिये,
कोई भी आपके  अलावा आपके शरीर की मदद नहीं कर सकता है।

आप करें:-
* प्राणायाम – फेफड़ों के लिए
* ध्यान – मन के लिए
* योग-आसन – शरीर के लिए
* चलना – दिल के लिए
* अच्छा भोजन – आंतों के लिए
* अच्छे विचार – आत्मा के लिए
* अच्छे  कर्म – दुनिया के लिए                                          

स्वस्थ रहें, मस्त रहें

“शयन के नियम”

  1. सूने तथा निर्जन घर में अकेला नहीं सोना चाहिए। “देव मन्दिर” और #श्मशान में भी नहीं सोना चाहिए – “#मनुस्मृति”
  2. किसी सोए हुए मनुष्य को अचानक नहीं जगाना चाहिए – “#विष्णुस्मृति”
  3. विद्यार्थी, नौकर औऱ द्वारपाल, यदि ये अधिक समय से सोए हुए हों, तो इन्हें जगा देना चाहिए – “#चाणक्यनीति”
  4. स्वस्थ मनुष्य को आयुरक्षा हेतु #ब्रह्ममुहुर्त में उठना चाहिए। (देवीभागवत) बिल्कुल अँधेरे कमरे में नहीं सोना चाहिए – “#पद्मपुराण”
  5. भीगे पैर नहीं सोना चाहिए। सूखे पैर सोने से लक्ष्मी (धन) की प्राप्ति होती है। (अत्रिस्मृति) टूटी खाट पर तथा जूठे मुँह सोना वर्जित है – “#महाभारत”
  6. “नग्न होकर/निर्वस्त्र” नहीं सोना चाहिए -“#गौतमधर्मसूत्र”
  7. पूर्व की ओर सिर करके सोने से #विद्या, पश्चिम की ओर सिर करके सोने से प्रबल चिन्ता, #उत्तर की ओर सिर करके सोने से हानि व मृत्यु तथा #दक्षिण की ओर सिर करके सोने से धन व आयु की प्राप्ति होती है – “आचारमय़ूख”
  8. दिन में कभी नहीं सोना चाहिए। परन्तु “#ज्येष्ठ_मास” में दोपहर के समय 1 मुहूर्त (48 मिनट) के लिए सोया जा सकता है। (दिन में सोने से रोग घेरते हैं तथा आयु का क्षरण होता है)
  9. दिन में तथा सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सोने वाला रोगी और दरिद्र हो जाता है – “#ब्रह्मवैवर्तपुराण”
  10. सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घण्टे) के बाद ही शयन करना चाहिए।
  11. बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिये हितकर है।
  12. दक्षिण दिशा में पाँव करके कभी नहीं सोना चाहिए। यम और दुष्ट देवों का निवास रहता है। कान में हवा भरती है। मस्तिष्क में रक्त का संचार कम को जाता है, स्मृति- भ्रंश, मौत व असंख्य बीमारियाँ होती है।
  13. हृदय पर हाथ रखकर, छत के “पाट या बीम” के नीचे और पाँव पर पाँव चढ़ाकर निद्रा न लें।
  14. शय्या पर बैठकर “खाना-पीना” अशुभ है।
  15. सोते सोते “पढ़ना” नहीं चाहिए। (ऐसा करने से नेत्र ज्योति घटती है )
  16. ललाट पर “तिलक” लगाकर सोना “अशुभ” है। इसलिये सोते समय तिलक हटा दें।

इन १६ नियमों का अनुकरण करने वाला यशस्वी, निरोग और दीर्घायु हो जाता है।