“प्रकृति त्रिगुणात्मक है”

आप कोई ऐसी लड़की नहीं ला सकते, जिसमें लड़का बिल्कुल न हो। कोई ऐसा लड़का भी हमने दुनिया में नहीं देखा, जिसमें लड़की बिल्कुल न हो। लड़के और लड़की की उत्पत्ति दो प्रकार के तत्वों से हुई है । उसमें माता भी है और पिता भी है। जिसमें पिता काबू पा लेता है , स्त्री दब जाती है, पुरुष प्रकट होता है और उसे आप आदमी कह चलते हैं। जिसमें स्त्री के अवयव व्यक्त होते हैं, पुरुष के अव्यक्त हो जाते हैं , उसको आप लड़की कह चलते हैं। जिसमें प्रकृति अव्यक्त हो जाती है, उसको दृष्टा कह देते हैं । जिसमें प्रकृति व्यक्त होती है और आत्मा अव्यक्त होती है, उसको आप जड़ या दृश्य कह देते हैं। वस्तुतः, दोनों चीजें दोनों में हैं।

प्रकृति दृश्य में भी है और दृष्टा में भी है। आत्मा दृश्य में भी है और दृष्टा में भी है। लेकिन , त्रिगुण ( तीन गुण ) प्रकृति में हैं ।एक में जड़ता है, जो तमोगुण प्रधान है; दूसरे में क्रिया है, जो रजोगुण प्रधान है और तीसरे में ज्ञान है, जो सत्वगुण प्रधान है। यह विभाग प्रकृति का है , आत्मा का नहीं । बहुत सूक्ष्म बातें हैं। इन पर धीरे-धीरे विचार करो।

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10 Comments

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