प्राचीन धर्म ग्रंथो में ही लोगो के अवसाद ग्रसित होने के वर्णन मिलते रहे हैं। इन वर्णन को श्राप कहकर संबोधित किया गया है। हम महाभारत में देखे तो भरत पुत्र शांतनु भी अवसाद के कारण ही मृत्यु को प्राप्त हुए। पुत्र को राजगद्दी ना देने तथा स्वयं सत्यवती से विवाह कर लेने के कारण उन्हें अवसाद हो गया। वहीं महाभारत युद्ध में यदि श्री कृष्ण ना होते तो अर्जुन भी अवसाद में अा जाते, श्री कृष्ण ने गीता का सार बताकर अर्जुन को अवसाद से उभारा। वहीं महाभारत के रण में अस्वस्थामा के मृत्यु का समाचार सुन कर द्रोणाचार्य भी अवसाद में अा गए थे। रामायण की बात करें तो राजा दशरथ भी पुत्र वियोग में अवसाद से ग्रसित हो गए जिसकारण उनकी मृत्यु हो गई।वहीं मौर्य शासक अशोक कलिंग युद्ध के बाद अवसाद में अा गए और फिर क्या हुआ हम सब जानते हैं। इतिहास में कई ऐसे छोटे – बड़े उदाहरण मिल जायेगे। हमे इन सबसे सीख लेनी चाहिए। केसे इन महान शासको ने खुद को नकारात्मकता से दूर किया।हमे राजा शांतनु की भाती अपने कर्मो का पछतावा करके शोक में रहना है या अर्जुन कि भाती जीना है। हमे राजा दशरथ की भाती पुत्र विलाप करना है या अशोक की भाती जीवन की दिशा बदलनी है ,यह हम पर निर्भर करता है। हमारे जीवन में 30साल केसे निकलते हैं पता ही नी चलता क्योंकि शुरू के 30वर्ष हम अधिक व्यस्त रहते है, खुद को बनाने में। बाकी 30साल कुछ हद तक कठिन होने शुरू होते हैं।जीवन के उतार चढ़ाव में हम कमजोर होने लगते हैं, और धीरे धीरे बुढ़ापा अा जाता है।
हम कह सकते हैं कि अवसाद किसी भी अच्छे इंसान को हो सकता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हमे चाहिए कि खुद के लिए भी समय निकालें। भोग तथा इच्छाओं को अपने ऊपर हावी न होने दे। जीवन की बहूमूल्यता को समझे।

Share this post

9,241 Comments

    1. Scyncgoryey August 4, 2022 at 6:10 pm

      [url=https://stromectolb.store/]buy stromectol 12mg generic[/url]

      Reply